एक शहर-तीन दावेदार… आखिर चंडीगढ़ में 7.19% हिस्सा क्यों मांग रहा हिमाचल?

One city-three claimants... Why is Himachal asking for 7.19% share in Chandigarh?
One city-three claimants... Why is Himachal asking for 7.19% share in Chandigarh?
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नई दिल्ली: महज 114 वर्ग किलोमीटर में फैले चंडीगढ़ को लेकर अब हिमाचल प्रदेश ने भी दावा कर दिया है. हालांकि, हिमाचल का ये दावा नया नहीं है. चंडीगढ़ को लेकर पंजाब और हरियाणा के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश भी अक्सर दावा करते हैं. हिमाचल प्रदेश के डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने रविवार को कहा कि चंडीगढ़ में 7.19 फीसदी हिस्से को पाने के लिए सरकार हर मुमकिन कोशिश कर रही है. चंडीगढ़ को लेकर अक्सर पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में विवाद बना रहता है. सबसे ज्यादा विवाद पंजाब और हरियाणा के बीच होता है. पूरे चंडीगढ़ पर पंजाब अपना दावा करता है, तो हिमाचल के पास भी अपने जवाब हैं.

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चंडीगढ़ को लेकर तीनों राज्य दावे क्यों करते रहते हैं? ये जानने से पहले थोड़ा इतिहास देखना होगा कि चंडीगढ़ बना क्यों और आखिर क्यों इतनी विवादित राजधानी बनकर रह गई?

चंडीगढ़ क्यों और कैसे बना?

– आजादी से पहले पंजाब की राजधानी लाहौर हुआ करती थी. 1947 में जब बंटवारा हुआ तो लाहौर पाकिस्तान के पास चला गया.

– इसलिए मार्च 1948 में केंद्र सरकार ने शिवालिक की तलहटी का इलाका नई राजधानी के लिए तय किया. चंडीगढ़ को पूरी प्लानिंग के साथ बसाया गया था.

– चंडीगढ़ को आज सबसे आधुनिक राजधानी में गिना जाता है. चंडीगढ़ की जीडीपी 35 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है. यहां प्रति व्यक्ति आय 2.29 लाख रुपये सालाना है.

दो राज्यों की राजधानी कैसे बना चंडीगढ़?

– 1 नवंबर 1966 को पंजाब पुनर्गठन एक्ट पास किया गया. इसके तहत पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ अस्तित्व में आए.

– उस समय चंडीगढ़ को पंजाब और हरियाणा की राजधानी बनाया गया. जबकि, हिमाचल प्रदेश 1970 तक केंद्र शासित प्रदेश रहा.

– एक सरकारी दस्तावेज के मुताबिक, उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा था कि शुरुआत में चंडीगढ़ दोनों राज्यों की राजदानी रहेगी, जो बाद में पंजाब में मिल जाएगी.

– पंजाब और हरियाणा की एक ही राजधानी इसलिए बनाई गई, क्योंकि उस समय चंडीगढ़ के पास ही प्रशासनिक ढांचा था.

– पंजाब पुनर्गठन एक्ट में भी ये तय किया गया कि चंडीगढ़ की संपत्तियों का 60 फीसदी हिस्सा पंजाब और 40 फीसदी हरियाणा को मिलेगा. चंडीगढ़ में ही पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट भी है.

पंजाब को मिलते-मिलते रह गया चंडीगढ़!

– चंडीगढ़ पर दावों को लेकर पंजाब और हरियाणा में शुरू से ही विवाद रहा है. पुनर्गठन के 20 साल बाद 1985 में राजीव गांधी-लोंगोवाल समझौता हुआ.

– इस समझौते के तहत पंजाब को चंडीगढ़ को सौंपने की तैयारी पूरी हो चुकी थी, लेकिन ऐन मौके पर राजीव गांधी ने इससे हाथ खींच लिए.

– एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1970 में केंद्र सरकार ने हरियाणा को पांच साल में अपनी राजधानी बनाने को कहा था. इसके लिए 10 करोड़ रुपये की मदद भी की गई थी. हालांकि, नई राजधानी नहीं बन सकी.

– हरियाणा के नेताओं का कहना है कि चंडीगढ़ अंबाला जिले का हिस्सा था, इसलिए इसे हरियाणा से अलग नहीं किया जा सकता.

हिमाचल कैसे कूदा इस विवाद में?
– पंजाब और हरियाणा ही नहीं, हिमाचल प्रदेश भी चंडीगढ़ के कुछ हिस्से पर अपना दावा करता है. 27 सितंबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में फैसला देते हुए कहा था कि पंजाब पुनर्गठन एक्ट के तहत चंडीगढ़ की 7.19 फीसदी जमीन पर हिमाचल का भी हक है.

– राज्य पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी दावा करते थे कि राज्य नवंबर 1996 से भाखड़ा नंगल प्रोजेक्ट से पैदा होने वाली बिजली का 7.19 फीसदी हिस्सा पाने का भी हकदार था. ठाकुर कहते थे कि हिमाचल को चंडीगढ़ में उसका वैध हिस्सा मिलना चाहिए.