हरियाणा में पेड़ों को मिलेगी पेंशन, 70 साल पुराने पेड़ की सेवा करने वाले हकदार

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अंबाला। हरियाणा में 70 साल पुराने पेड़ को पेंशन दी जानी थी। हालांकि वन विभाग की लापरवाही से 70 साल पूरे कर चुके वृक्षों को अभी तक पेंशन नहीं मिली है। इन वृृक्षों को बचाने के लिए फरवरी 2021 में 2500 रुपये प्रति माह पेंशन दिए जाने की योजना की घोषणा की गई थी। अब पेंशन पर सवाल उठे तो विभाग दबी जुबान में सरकार पर ही ठीकरा फोड़ रहा है।

वन विभाग की ओर से जिला में 70 साल से अधिक पुराने वृक्षों को तलाश की गई थी और रिपोर्ट तक तैयार की गई थी। उसके बाद पुराने वृक्षों की 2500 रुपये पेंशन लगाई जानी थी। ताकि पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोक पर्यावरण को बढ़ावा देने के मद्देनजर योजना बनाई गई थी। लेकिन इस समय विभाग रिपोर्ट को खोलने के मूड में नहीं है या फिर ऐसे में वृक्षों संख्या तक पर पर्दा डालने का काम किया जा रहा है। इसीलिए पेंशन का लाभ दिया जाना था।

पेंशन के रूप में मिलने वाली राशि का हकदार वह होता, जिसकी जमीन पर वृक्ष छाया दे रहा है। इस पेंशन से पुराने वृक्षों की देखरेख की जानी थी। जो वृक्ष पंचायत के क्षेत्र में हैं, उसका पैसा पंचायती फंड में जाता। यदि किसी की निजी जमीन पर वृक्ष हैं तो उसका पैसा मालिक को मिलना था।

पर्यावरण को बचाए रखने के लिए शुरू की गई थी इस योजना के तहत पुराने वृक्षों का सर्वे किया था। सर्वे के लिए छह से सात टीम बनाई गई थी। नारायणगढ़ क्षेत्र में ही 35 वृक्ष जो बरगद व पीपल के मिले थे जिनकी उम्र 70 से अधिक आंकी गई थी। यह वृक्ष किस जगह पर लगे हैं, इस तक की रिपोर्ट बनाई गई थी।

छल्लों के आधार पर होता है उम्र का आंकलन

जिस क्षेत्र में पुराने वृक्ष हैं उन जगहों के सरपंच, ग्रामीण जिनमें खासकर बुजुर्गों से जानकारी जुटाकर वृक्षों की आयु का अनुमान लगाया था। वहीं वृक्षों की उम्र गणितीय व अनुमान के आधार पर निकाली गई थी। इसके अलावा ड्रिल का इस्तेमाल कर तने के छल्लों के आधार पर भी उम्र का आंकलन किया था।

पेड़ पौधे या वृक्ष जहां प्राणवायु हैं, वहीं पुराने वृक्ष एक धरोहर हैं। लेकिन इनकी घटती संख्या चिंता का विषय बनता जा रहा है। इन्हें बचाने के लिए ही पेंशन योजना शुरू की गई थी। क्योंकि कभी विकास तो कभी जगह की कीमत को देखते हुए इन वृक्षों पर कुल्हाड़ा चल रहा है। पुराने वृक्ष बड़े होने के कारण सामान्य पेड़ के मुकाबले अधिक आक्सीजन छोड़ते हैं। पुराने वृक्षों में अधिकतर बरगद, पिलखन, पीपल व आम के हैं। वहीं इनकी खोखरों को पक्षी अपने घोंसला के रूप में इस्तेमाल करते हैं जिनमें अंडे देते हैं। जिनमें पक्षी अपने बच्चे रख सुरक्षित मानते हैं।