बिहार में शराबबंदी के बावजूद शराब माफिया ने एक साल में कमाए 100 करोड़

Liquor mafia earned 100 crores in a year despite prohibition in Bihar
Liquor mafia earned 100 crores in a year despite prohibition in Bihar
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पटना: बिहार में शराबबंदी के बावजूद एक शराब माफिया 100 करोड़ से अधिक की कमाई कर ली। गुवाहाटी से गिरफ्तार लिकर किंग सुनील शर्मा ने शराब की 4 फैक्ट्रियों के जरिए अपनी 12 कंपनियों का सालाना टर्न ओवर करीब 400 करोड़ रुपए से अधिक पहुंचा दिया। गुवाहाटी से गिरफ्तारी के बाद जब इससे पूछताछ हुई और इसके कंपनियों के साथ ही बैंक अकाउंट्स के डिटेल खंगाले गए, तब इसका खुलासा हुआ। महज पिछले डेढ़ साल में ही इसने शराब बंदी वाले बिहार से अकेले 100 करोड़ रुपए की कमाई की है।

साल 2016 में राज्य सरकार ने बिहार में शराबबंदी कानून लागू की थी। इसके बाद 2017 से ही शराब माफिया सुनील भारद्वाज एक्टिव हो गया। इसने तकरीबन बिहार के हर जिले में अपना नेटवर्क बनाया। फिर इसी नेटवर्क के जरिए शराब के अवैध कारोबार को बिहार में फैलाया। सूत्र बताते हैं कि ऑन पेपर अरूणाचल की फैक्ट्री से ट्रक पर लोड होकर शराब की खेप निकलती थी। दूसरे राज्य के लिए, पर ट्रक बिहार से आगे जाती नहीं थी। यहीं के किसी जिले में अनलोड हो जाती थी। पहले लॉकडाउन के बाद जैसे-जैसे छूट मिली, उतनी तेजी से ये बिहार में एक्टिव हुआ। शराब की सप्लाई तेजी से करता गया।

सुनील भारद्वाज अलग-अलग नाम की कुल 12 कंपनियों का मालिक है। इसमें से 4 कंपनियों शराब बनाती हैं। जिसमें काला अम्ब डिस्टलरी एंड वेबरी प्राइवेट लिमिटेड हिमाचल प्रदेश के सोलन में चलती है। जबकि, प्रिस्टिन डिस्टिलर्स, नॉर्थ-ईस्ट वेबरेज और नॉर्थ-ईस्ट लिकर अरूणाचल प्रदेश में चलती है। मद्य-निषेध इकाई की टीम जब जांच कर रही थी तो उस दरम्यान एक चौंकाने वाली बात सामने आई। खुलासा हुआ कि 12 में से 6 कंपनियां फर्जी तरीके से चल रही है। मतलब सिर्फ कागज पर वो रन कर रही हैं। असलियत में उनका कोई अस्तित्व है ही नहीं। इस बारे में टीम की पड़ताल अब भी जारी है।

अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि सुनील भारद्वाज ने दो ट्रस्ट भी बना रखा है। इसमें पहले का नाम दयावती चैरिटेबल ट्रस्ट है। जबकि, दूसरे का नाम श्री बालाजी एजुकेशनल ट्रस्ट है। ये दोनों ही ट्रस्ट नोएडा में रन करती हैं। सूत्र बताते हैं कि काली कमाई को इन दोनों ट्रस्ट के जरिए ठिकाना लगाया जाता है। ब्लैक मनी को व्हाइट किया जाता है। इसमें शराब के अवैध धंधे के जरिए कमाए गए रुपए भी शामिल हो सकते हैं। इसकी पड़ताल चल रही है। क्योंकि, टीम को ट्रस्ट के जरिए रुपए इधर-उधर करने के भी सबूत मिले हैं।

लग्जरी लाइफ जिने वाला ये लिकर किंग लग्जरी गाड़ियों का भी बेहद शौकीन है। मर्सिडिज जैसी कई लग्जरी गाड़ियों का ये मालिक है। जब इसके बारे में मद्य निषेध इकाई की टीम इसके बारे में पड़ताल कर रही थी, उसी दरम्यान पता चला कि इसने साढ़े तीन करोड़ रुपए की कीमत वाली एक रेंज रोवर कार बुक कर रखी थी। महज तीन दिन बाद ही उसकी डिलीवरी होने वाली थी। मगर, उसके पहले ही बिहार पुलिस की टीम ने 25 नवंबर की देर रात गुवाहाटी के फाइव स्टार होटल में छापेमारी कर दी। इसे गिरफ्तार कर पटना ले आई। करोड़ों रुपए के रेंज रोवर कार की सवारी का मौका ही नहीं दिया।

बिहार में अवैध तरीके से शराब की सप्लाई के लिए जो नेटवर्क सुनील भारद्वाज ने खड़ा कर रखा था, उसमें सबसे बड़ा मददगार मुजफ्फरपुर का बबुआ डॉन उर्फ अजय झा है। अवैध कारोबार के कारण इन दोनों की अच्छी दोस्ती भी है। इसके जरिए ही बिहार के अंदर शराब और स्प्रीट की अवैध सप्लाई होती है। वैसे तो मुजफ्फरपुर के अलावा इसका नेटवर्क राजधानी पटना के साथ-साथ वैशाली, रोहतास, गया, नालंदा, किशनगंज, और पूर्णिया सहित कई जिलों में है। इसी नेटवर्क के जरिए इसने पिछले डेढ़ साल में 100 करोड़ से अधिक की कमाई की। बबुआ डॉन हाल के दिनों में ही जेल से छूटकर बाहर आया है। अब मद्य निषेद्य इकाई की टीम सुनील भारद्वाज के पूरे नेटवर्क को खत्म करने में जुट गई है। जब्त किए गए इसके मोबाइल के जरिए हर एक कॉन्टैक्ट्स को खंगालने में जुटी है।

शराबबंदी के बाद से बिहार में अवैध रूप से शराब की सप्लाई करने के मामले में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई हुई है। बिहार पुलिस की मद्य निषेध इकाई ने देश के टॉप-3 में शामिल लिकर किंग सुनील भारद्वाज उर्फ सुनील कुमार उर्फ सुनील शर्मा को गिरफ्तार किया है। भारत सरकार के टेलिकम्युनिकेशन डिपार्टमेंट के टेलिकॉम एडवाइजरी कमेटी (TAC) का मेंबर भी है और BSP से चुनाव भी लड़ चुका है। इसकी गिरफ्तारी असम में गुवाहाटी के एक फाइव स्टार होटल से हुई। सुनील मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर का रहने वाला है। लेकिन, रहता नोएडा में है।